भारत रक्षा मंच
सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोक थाम विधेयक 2011
हिन्दू वोटरों के कंधो पर बैठ कर कांग्रेस एवं यू पी ए पार्टियों ने सभी हिन्दुओ को सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोक थाम विधेयक 2011 में जन्म जात अपराधी घोषित कर दिया है:
* हिन्दू जिसके खिलाफ कोई मुसलमान ,ईसाई , अल्पसंख्यक शिकायत करता है तो पुलिस एवं न्यायलय यह मान कर चलेगा की वह हिन्दू ही अपराधी है जब तक वह हिन्दू अपने आपको को निर्दोष नहीं साबित कर देता है [ सांप्रदायिक
एवं लक्षित हिंसा रोक थाम विधेयक 2011 धारा 70,71 एवं 73]. शिकायत कर्ता अल्पसंख्यक
की मरजी का वकील ही सरकारी वकील का कार्य करेगा [धारा 83(6)].
*हिन्दू जिसके खिलाफ शिकायत है उसको बिना कोई जाँच किये ही तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजने के लिए पुलिस बाध्य होगी क्योकि उस हिन्दू की जमानत केवल कोर्ट से ही हो सकती है [धारा 56]. परन्तु उन्ही अपराधों के लिये अल्पसंख्यको को जमानत थाने पर ही मिल जाएगी .
*इस काले कानून का प्रयोग केवल अल्पसंख्यक लोग ही हिन्दुओ के विरुद्ध कर सकते है . एक ही तरह के आरोपों में हिन्दुओ को इस विधेयक में अधिक अवधि का जेल और अल्पसंख्यको को कम अवधि का जेल मिलेगा .
*हिन्दू को शिकायतकर्ता अल्पसंख्यक का नाम पता नहीं बताया जायेगा [धारा 38] लेकिन शिकायतकर्ता को पुलिस हर तीसरे दिन केस प्रगति रिपोर्ट देगी।
*शिकायतकर्ता अल्पसंख्यक को अपनी शिकायत के समर्थन में कोई और साक्ष्य देने की आवश्यकता नहीं है [धारा 70, 71 एवं 72] केवल शिकायत पत्र ही हिन्दू को जेल भेजने के लिए काफी है *कोई हिन्दू जो किसी अल्पसंख्यक के साथ कोई व्यापार , लेंन -देन नहीं करना चाहे उस हिन्दू को अल्पसंख्यक की शिकायत पर तुरंत गिरफ्तार कर जेल में ठूस दिया जायेगा [धारा 3.ऍफ़ आइ ]. इस काले कानून का उपयोग करके कोई भी अल्पसंख्यक हिन्दू से उसका जर , जोरू [ महिलाये ] एवं जमीन छीन सकता है जैसे पाकिस्तान एवं बांग्लादेश में छिनी जा रही है .
*कोई भी अल्पसंख्यक हिन्दुओ के खिलाफ़ झूठा केस करने या झूठा गवाही देने पर भी दण्डित नहीं किया जा सकता है [धारा 40].
* यह विधेयक सभी हिन्दुओ के [चाहे वे भारत में रहते हो या विदेशों में] मानव अधिकारों का हनन करता है। इस विधेयक के कानून बन जाते ही विदेशी लोग भी सभी हिन्दुओ को जन्म से ही अपराधी समझने लगेगे .
भारत में किसी भी हालत में किसी भी हिन्दू को किसी भी अल्पसंख्यक से कम सुबिधा एवं कम स्टेटस नहीं मिलना चाहिए और ऐसे सभी कांग्रेस पार्टी द्वारा बनाये कानून जिसमे हिन्दुओ को अल्पसंख्यको की तुलना में कम सुबिधा , कम स्टेटस है उन सभी कांग्रेसी कानूनों को मतपत्रो के आधार पर निरस्त्र किया जायेगा .यह भारत रक्षा मंच की दृढ़ प्रतिज्ञा है .
ओम प्रकाश गुप्त , भारतीय विदेश सेवा [1971,सेवा नि ] राष्ट्रीय अध्यक्ष ,भारत रक्षा मंच
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सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोक थाम विधेयक 2011
कांग्रेस एवं अन्य यू पी ए पार्टियों ने सभी हिन्दुओं को जन्म से अपराधी घोषित करने वाला यह विधेयक बनाया है
कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् ने सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा रोक थाम विधेयक 2011 तैयार किया है जिसे डॉ मन मोहन सिंह मंत्रिमडल ने स्वीकार कर लिया है और संसद के सामने रखने की तैयारी में है .सोनिया गाँधी का जन्म इटली में एक रोमन कैथोलिक ईसाई परिवार में हुआ था और डॉ मनमोहन सिंह का जन्म स्थान पाकिस्तान में है जो सिख है। ये दोनों अल्पसंख्यक नेता मिल जुल कर अपने अपने अल्पसंख्यक समुदायों को बहुसंख्यक हिन्दुओ पर कानूनन हावी करने की जी तोड़ मेहनत कर रहे है। यह विधेयक कांग्रेस की इसी हिन्दू विरोधी नीतियों का सबूत है .
2. यह विधेयक राष्ट्र विरोधी है क्योंकि यह जनता के विभिन्न वर्गों के बीच सामाजिक रिश्तों [सोशल हारमनी ]को और नष्ट कर देगा एवं अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदायों के बीच दूरियाँ ओर बढ़ा देगा. इस विधेयक में कहा गया है कि हिन्दू उन सभी आरोपों का अपराधी माना जायेगा जो कोई भी अल्पसंख्यक [चाहे वह बंगलादेशी धुसपैठी
या पाकिस्तानी जिहादी हो ] लगाता है . अतः यह विधेयक हिन्दू विरोधी है .यह बिल सभी हिन्दुओं के मानव अधिकारों का हनन करता है चाहे वो भारत में रहते हो या विदेशों में .
3. सोनिया गाँधी का जन्म का वास्तविक नाम एड्वोगे अंटोनियो अलबीना माइनो है . वह जन्म से इतालियन नागरिक रही परन्तु अब दावा करती है कि वह कानूनन भारतीय नागरिक बन गयी है . कुछ भारतीय [डॉ स्वामी, अध्यक्ष जनता पार्टी ] इस दावे को सही नहीं मानते है .चूकि राहुल गाँधी के जन्म के समय सोनिया गाँधी केवल इतालियन नागरिक थी अतः राहुल के पास इतालियन राष्ट्रीयता विरासतन है . राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् जिसने यह विधेयक तैयार किया हिन्दू विरोधियों का जमावड़ा है।
4. भारत के अपराधिक दण्ड संहिता [क्रिमिनल लॉ ] का मूलभूत सिद्धांत है की सभी लोग निर्दोष है जब तक की अपराध कोर्ट में साबित न हो जाये परन्तु इस विधेयक में हिन्दुओ को नीचा करने के लिए इस मूलभूत सिद्धांत को उलट दिया गया है। इस विधेयक में यह कहा गया है की कोर्ट एवं पुलिस शुरू से यह मान कर चलेगा की हिन्दू ही अपराधी है जब तक वह हिन्दू कोर्ट में अपने आपको निर्दोष न साबित कर देवे।अतः स्वतंत्र भारत के इतिहास में हिन्दू वोटरों के कन्धों पर बैठ कर अल्पसंख्यक नेताओं एवं जयचंदी हिन्दू नेताओं ने बहुसंख्यक हिन्दुओं को ही तार्जेट निशाना बनाते हुए अपराधी घोषित कर दिया [ गिल्टी टिल प्रोवेन इनोसेंट ].यह विधेयक उन हिन्दू वोटरों के चेहरों पर करारा सेक्युलरी जयचंदी तमाचा है जो कांग्रेस एवं अन्य सेक्युलरी पार्टियों को आंख मूद कर वोट देते है क्योकि वे हिन्दू भी इस काले विधेयक के अंतर्गत मुसलमानों , ईसाइयो के झूठे शिकायत पर बिना प्रथिमिकी जाँच के ही जेलों में ठूस दिए जायेगे।
5.इस विधेयक के बनाने वालों का दावा है की बहुत से जाँच आयोगों एवं सरकारी कागजातों से पता चलता है की राज्यतंत्रों में अल्पसंख्यको के विरुद्ध एक संस्थागत दुराग्रह [ इन्स्तित्युशनल बायस अगेन्स्ट माइनॉरिटीज ] है परन्तु सर्वोच्च न्यायालय की पीठ [दलवीर भंडारी ,ठाकुर एवं दीपक मिश्रा ]ने सर्वसम्मति से इस संस्थागत दुराग्रह को दिसम्बर 15, 2011 को ख़ारिज कर दिया [अपराधिक अपील 1068/2006]। अतः यह विधेयक सर्वोच्च न्यायलय के निर्णय के विरुद्ध है।
6. बिना किसी प्रथिमिकी जाँच के ही हिन्दू चाहे वह मार्क्सवादी हो या दक्षिणपंथी हो ,चाहे अगड़ी या पिछड़ी जाति का हिन्दू हो , चाहे अमीर या गरीब हिन्दू हो किसी भी अल्पसंख्यक की शिकायत पर ,चाहे कितनी भी झूठी शिकायत हो तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजा जायेगा क्योकि इस विधेयक में सभी अपराध नान बेलेबुल एवं कोग्निज़ेबुल है [ धारा 56].
7.यह विधेयक सोनिया गाँधी और कांग्रेस पार्टी की एक और गलत धारणा पर आधारित है की सांप्रदायिक दंगे हमेशा केवल हिन्दू ही शुरू करते है और अल्पसंख्यक सांप्रदायिक दंगे कभी भी शुरू नहीं करते है। एक मुस्लिम लेखिका जैनब बनो ने अपनी किताब दी पॉलिटिक्स ऑफ़ कम्युनालिस्म में लिखा है की पिछले 60 सालों में 75% दंगो की शुरुआत मुसलमानों ने की थी। धारा 9 में केवल अल्पसंख्यको के विरुद्ध हुई हिंसा को ही इस विधेयक में अपराध माना गया है। अगर अल्पसंख्यक लोग कांग्रेसी हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा करे तो भी इस विधेयक के अंतर्गत केवल कांग्रेसी हिन्दू ही गिरफ्तार हो कर सीधे जेल जायेगा।
8. इंडियन इंस्टीटूट ऑफ़ प्लानिंग एंड मैनेजमेंट के निर्देशक अरविंदम चौधुरी ने लिखा" भारत में ऐसे बहुत शहर मोहल्ले है जिसमे मुसलमानों एवं इसाईयों की संख्या हिन्दुओ से अधिक है।मान लीजिये ऐसे दो शहरों में दंगे होते है जिनमे एक शहर में हिन्दू अधिक है और दूसरे शहर में मुसलमान अधिक है तो दोनों शहरों में पुलिस केवल हिन्दुओं को ही इस विधेयक में गिरफ्तार करेगी क्योकि चालाकी पूर्वक सोनिया गाँधी ने मुसलमानों , ईसाईयों एवं अल्पसंख्यको को इस नए कानून की परिधि से बाहर रखा है। जहाँ हिन्दू पिटेगा वहा भी केवल हिन्दू ही गिरफ्तार होगा।
9. धारा 3(के) में पीड़ित की व्याख्या में
लिखा है कि इस विधेयक में पीड़ित केवल अल्पसंख्यक ही माना जायेगा और
पीड़ित की परिभाषा में रिश्तेदार ,पत्नी ,क़ानूनी अभिवाहक एवं क़ानूनी वारिस भी शामिल
है।अतः दिल्ली में रहने वाले हिन्दू के विरुद्ध अहमदाबाद में रहने वाला मुसलमान शिकायत
दर्ज करा सकता है दिल्ली में रहने वाले अपने रिश्तेदार की ओर से। उक्त परिभाषा
अनुसार भारतीय मुसलमानों ,ईसाईयों या अन्य अल्पसंख्यकों के
विदेशो में रहने वाले रिश्तेदार [चाहे वो भारतीय हो या विदेशी ] भी किसी भी हिन्दू
के विरुद्ध भारतीय पुलिस में शिकायत कर गैरजमानती वारंट जरी करवा सकते है। धारा 2
विदेशो में रहने वाले हिन्दुओं को भी अपनी परिधि में लेती है।
10. इस विधेयक के अंतर्गत एक हिन्दू जिसके खिलाफ एक मुसलमान [चाहे बंगलादेशी घुसपैठी या जिहादी जिहादी मुस्लिम ] या हिन्दू धर्म परिवर्तन कराने वाला ईसाई पादरी या अन्य अल्पसंख्यक शिकायत करता है तो पुलिस एवं कोर्ट यह मानने को बाध्य होगे कि हिन्दू ही अपराधी एवं दोषी है बिना प्रथिमिकी जाँच पड़ताल के [धारा 70,71 एवं 73], वह हिन्दू बिना जाँच किये ही तुरंत गिरफ्तार करके जेल में ठूंस दिया जायेगा क्योकि इस हिन्दू की जमानत केवल कोर्ट से ही हो सकती है [धारा 56],इस हिन्दू को कोर्ट में अपनी निर्दोषिता सिद्ध करनी होगी, शिकायतकर्ता मुसलमान या ईसाई की पहचान गुप्त रक्खी जाएगी [धारा 38], शिकायत कर्ता मुसलमान या ईसाई को अपने शिकायत के समर्थन में कोई अन्य साबुत देने की जरुरत देने नहीं [धारा 70, 71 एंड 72]; चूकि हिन्दू से शिकायतकर्ता अल्पसंख्यक की पहचान गुप्त रक्खी जाएगी तो कोर्ट में हिन्दू का वकील शिकायतकर्ता से जिरह नहीं कर पायेगा तो हिन्दू अपनी निर्दोषिता कैसे सिद्ध करेगा , परन्तु शिकायतकर्ता अल्पसंख्यक को पुलिस हर तीसरे दिन केस का रिपोर्ट देने को बाध्य होगी [ धारा 35, 66 एवं 83]; मुकदमे के दौरान हिन्दू की संपत्ति कुडुक की जा सकती है [धारा 80];अगर हिन्दू अपने को निर्दोष नहीं सिद्ध कर पाया तो उसकी संपत्ति नीलाम करके अल्पसंख्यको को मुवावजा दिया जायेगा [धारा 81].अल्पसंख्यक शिकायतकर्ता द्वारा नामित वकील ही सरकारी वकील का कार्य करेगा ऐसे मुकदमे में [धारा 83(6)].
उपरोक्त धाराये कांग्रेस पार्टी ,समाजवादी पार्टी ,बहुजन समाज पार्टी, साम्यवादी पार्टिया , माओवादी पार्टिया ,तृणमूल कांग्रेस ,बीजू जनता दल , डी एम् के इत्यादी को वोट देने वाले हिन्दुओं पर भी लागु होती है।
11. इस विधेयक की धारा 40 के अनुसार अल्पसंख्यक या अल्पसंख्यको के गवाहों द्वारा दिए गए किसी बयान के झूठा होने पर भी अल्पसंख्यको के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती है। अतः यह विधेयक अल्पसंख्यको को हिन्दुओं के विरुद्ध झूठा केस एवं गलत बयानी के लिए प्रेरित करता है।
12. इस विधेयक की धारा 8 में केवल हिन्दुओं द्वारा अल्पसंख्यकों के विरुद्ध घृणा प्रचार को अपराध माना गया है परन्तु मुसलमानों ,ईसाइयो एवं अन्य अल्पसंख्यकों द्वारा हिन्दुओं के विरुद्ध घृणा प्रचार का संज्ञान इस बिल में नहीं लिया गया है। हिन्दुओं द्वारा अल्पसंख्यकों के विरुद्ध घृणा प्रचार की शिकायत केवल भारतीय पेनल कोड में ही दर्ज हो सकती है जिसमे इन आरोपों में थाने पर ही अल्पसंख्यक को जमानत मिलना संभव है। परन्तु जब हिन्दू घृणा प्रचार के आरोपों में इस नए बनने वाले कानून में गिरफ्तार होगा तो उसको थाने पर जमानत नहीं मिलेगी , उस हिन्दू को जेल जाना ही होगा क्योकि उसकी जमानत केवल कोर्ट से ही हो सकती है। मुसलमानों , ईसाइयो एवं अन्य अल्पसंख्यकों को घृणा प्रचार के आरोपों में कोर्ट निर्दोष मान कर चलेगी जब तक आरोप सिद्ध न हो जाये परन्तु हिन्दू को कोर्ट शुरू से ही दोषी मान कर चलेगी जब तक वह हिन्दू अपने आप को निर्दोष न साबित करे। अतः हिन्दू दूसरे दर्जे का नागरिक कांग्रेस को अपना वोट 2014 में दे कर बन जायेगा।
हिन्दू को कम से कम आजीवन जेल की सजा इस अधिनियम में मिलेगी अगर घृणा प्रचार संगठित सांप्रदायिक हिंसा में परिणित होती है परन्तु अल्पसंख्यको को हिन्दुओं पर हमला करने पर तीन साल की सजा 324 आई पी सी में ,7 साल दफा 325 में, और दस साल दफा 326 में या आजीवन कारावास । मतलब एक ही तरह के आरोपों में हिन्दुओं को अधिक अवधि की सजा एवं अल्पसंख्यकों को कम अवधि की सजा मिलेगी। यह है कांग्रेस पार्टी एवं इसके सहयोगी पार्टियों का औरंगजेबी सेक्युलरवाद .
13.
कुछ हिन्दू समझते है कि यह विधेयक केवल दंगो में ही प्रयोग होगा परन्तु यह सोंच गलत है। इस विधेयक की धारा 11 में आई पी सी के 33 अपराधों को इस विधेयक में घुसा दिया गया है जैसे धारा 153बी , 295, 295अ 296, 298,144, 145
इत्यादी। पुलिस धारा 144 रोज ही लगाती है और गिरफ्तारी के बाद में छोड़ देती है परन्तु इस विधेयक के कानून बनते ही जो हिन्दू 144 आई पी सी एवं इस बिल के धारा 11में गिरफ्तार होगा वह सीधा जेल जायेगा परन्तु अल्पसंख्यक थाने पर ही छोड़ दिया जायेगा क्योकि कांग्रेस द्वारा बनाये जाने वाला यह नया कानून अल्पसंख्यको पर लागू नहीं होगा। अभी तक इन 33 आई पी सी अपराधो में कोर्ट हिन्दुओं को निर्दोष मान कर चलती है परन्तु अगर 2014 में हिन्दुओं ने कांग्रेस और अन्य जैचंदी पार्टियों को वोट दिया और यह बिल कानून बन गया तो इन 33 आई पी सी अपराधो के लिए कोर्ट सभी नामित हिन्दुओं को दोषी मान कर चलेगी अगर शिकायतकर्ता अल्पसंख्यक है।
अगर लेन देन , पार्किंग , राह चलते किसी हिन्दू का मुसलमान या ईसाई से झगड़ा या मारपीट हो जाये तो पुलिस इस काले कानून के अंतर्गत हिन्दू को ही जेल भेजने के लिए बाध्य है परन्तु उस अल्पसंख्यक पर अधिक से अधिक धारा 100, 107, 117, 151 आई पी सी पुलिस लगा पावेगी जिसमे व्यक्तिगत बांड पर अल्पसंख्यक थाने से ही छूट जायेगा . अतः यह कानून बनते ही हर अल्पसंख्यक किसी भी हिन्दू को जेल भिजवाने की ताकत पा जायेगा।
14.
अगर कोई अल्पसंख्यक महिला किसी हिन्दू के खिलाफ बलात्कार या अभद्रता का आरोप लगाती है तो केवल उस महिला के आरोप [सोल टेस्टीमनी ] के आधार पर पुलिस एवं कोर्ट हिन्दू को दोषी मानकर चलेगी. धारा 70 और धारा 111 में उस हिन्दू को आजीवन कारावास तक मिलेगा , अगर अल्पसंख्यक महिला का गैंग रेप हुआ तो प्रत्येक हिन्दू को कम से कम 14 साल की सजा या आजीवन कारावास [111 C ]. उन हिन्दुओं को शिकायत करने वाली अल्पसंख्यक महिला की पहचान नहीं बताई जाएगी।
परन्तु अगर किसी हिन्दू महिला का बलात्कार किसी अल्पसंख्यक ने किया तो हिन्दू महिला के आरोप [सोल टेस्टीमनी ] के आधार पर ही उस अल्पसंख्यक को कोर्ट एवं पुलिस दोषी मान कर नहीं चलेगी , हिन्दू महिला को और सबूत देने होगे, पीड़ित हिन्दू महिला की पहचान अल्पसंख्यक बलात्कारी से नहीं छिपाया जायेगा। हिन्दू महिला के रेप में अल्पसंख्यको को 10 साल सजा परन्तु हिन्दुओं को कम से कम 14 साल सजा होगी . क्या इस प्रकार हिन्दू पुरुष एवं हिन्दू महिला दोयम दर्जे के नागरिक कांग्रेस द्वारा नहीं बना दिए जायेगे?
15.
इस् काले कानून का फायेदा उठाते हुए कोई भी अल्पसंख्यक हिन्दुओं से उनकी जर , जोरू [ फीमेल ] एवं जमीन छिनने के लिए दबाव बना सकता है चाहे वह हिन्दू कांग्रेसी , समाजवादी क्यों न हो। अगर कोई अल्पसंख्यक हिन्दू का मकान , दुकान या गोदाम किराये पर चाहे और वह हिन्दू न देना चाहे तो वह अल्पसंख्यक इस बनने वाले कानून के धारा 3 के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है की वह हिन्दू उसके अल्पसंख्यक होने के कारण ही किराये पर नहीं दे रहा है तो वह हिन्दू सीधा लेल में ठूंस दिया जायेगा .
अगर कोई अल्पसंख्यक किसी हिन्दू के यहाँ नौकरी मागने जाता है और हिन्दू अयोग्यता के आधार पर नौकरी नहीं देता तो वह हिन्दू पुलिस द्वारा सीधा जेल में ठूंस दिया जायेगा अगर उस अल्पसंख्यक ने शिकायत कर दी कि अल्पसंख्यक होने के कारण ही हिन्दू ने नौकरी नहीं दी।
अगर कोई हिन्दू मकान मालिक अपने अल्पसंख्यक किरायेदार से अपना मकान खली कराना चाहे या किराये को ले कर कोई चक चक हो जाये तो वह अल्पसंख्यक किरायेदार या उसका कोई रिश्तेदार धारा 3 ऍफ़ (i ) एवं (iv ) में शिकायत कर मकान मालिक को सीधा जेल भिजवा सकते है।
अगर कोई हिन्दू का कोई अल्पसंख्यक नौकर हो और वह हिन्दू अपने अल्पसंख्यक नौकर को हटाना चाहे तो उस नौकर के मानसिक उत्पीडन के आरोप में नौकर की पत्नी या रिश्तेदार हिन्दू मालिक को जेल भेजवा सकते है धरा 3 (k) में।
अगर किसी हिन्दू अधिकारी का कोई अल्पसंख्यक मातहत हो और हिन्दू अधिकारी मातहत को अयोग्यता के लिए डाटता है तो मातहत की पत्नी धारा 3(K ) में हिन्दू अधिकारी को जेल में बंद करा सकती है। अतः सभी हिन्दू अधिकारी एवं हिन्दू मालिक सावधान हो जाये।
16.अगर कोई हिन्दू किसी अल्पसंख्यक से किसी भी कारण से व्यापर नहीं करना चाहे जैसे अल्पसंख्यक बत्तमीजी करता है,अधिक दाम मांगता है , समय पर सप्लाई नहीं करता , क्वालिटी उचित नहीं है इत्यादि तो भी अल्पसंख्यक की शिकायत पर कि अमुक हिन्दू उसके अल्पसंख्यक होने के कारण ही उसके साथ व्यापर नहीं करता वह नामित हिन्दू धारा 3 एफ (i) में गिरफ्तार हो जायेगा .
इसी तरह अल्पसंख्यक किसी भी हिन्दू के खिलाफ झूठी शिकायत करवा कर परिवार के सभी पुरुषो को जेल भिजवा कर परिवार के लडकियों एवं महिलाओं की सहानुभूति जितने की कोशिश कर सकता हैक्योकि हिन्दू महिलाओं को शिकायतकर्ता की पहचान नहीं मालूम होगा और अल्पसंख्यक दबाव बना सकता है कि अगर एक भी शादी कर लो तो वे शिकायत वापस लेकर सुलह कर लेगे और सभी हिन्दू पुरुष जेल से छुट जायेगे। लव जिहाद के बारे में आप लोग जानते ही है।
17. इस कानून में जज को यह अधिकार होगा [धारा 82(1)] कि अपनी इच्छा से या किसी शिकायत पर वह किसी भी हिन्दू को जिला निकाला का आदेश दे सकता है। परन्तु वही जज किसी अल्पसंख्यक के खिलाफ जिला निकाला का आदेश नहीं दे सकता। इस बिल में शिकायतकर्ता अल्पसंख्यक की रजामंदी से ही सरकारी वकील की नियुक्ति होगी धारा 83(6) अनुसार। हिन्दू सरकारी वकील की नियुक्ति के बारे में कुछ भी नहीं कह सकता है।
18. धारा 29 में जज किसी भी हिन्दू के खिलाफ अपराध का संज्ञान ले सकता है भले ही उस हिन्दू का केस उस जज के पास न हो।
19.
इस विधेयक के कानून का पालन कराने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर एक सात सदस्यीय राष्ट्रीय प्राधिकरण होगा जिसके चार सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय से होगे और इस प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष अल्पसंख्यक ही होगे अर्थात निर्णय लेने वाले समिति में हिन्दू स्थायी रूप में अल्पसंख्यक बना दिए गए है सोनिया गाँधी एवं डॉ मन मोहन सिंह की मिली भगत द्वारा। कोई भी हिन्दू चाहे वह साम्यवादी हो या कांग्रेसी हो इस प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष नहीं हो सकते है धारा 20(3).
इस प्राधिकरण के सलाह पर अधिकारियों का तबादला होगा, मुख्य मंत्रियों पर साम्प्रदायिकता का आरोप प्राधिकरण लगा सकता है। मुख्य मंत्री , अन्य मंत्रियों एवं अधिकारीयों को प्राधिकरण के सलाह पर गिरफ्तार किया जा सकता है और प्रांतीय सरकारे हटाई जा सकती है धारा 73, 74 एवं 75. अतः जनता द्वारा चुने प्रतिनिधियों पर गैर निर्वाचित अल्पसंख्यकों का अंकुश हो जायेगा।
20. धारा 126 के अनुसार इस विधेयक के धारा 9 में वर्णित अपराधों का संज्ञान लेने पर कोई समय सीमा नहीं होगी। अतः मुसलमान, ईसाई एवं अन्य अल्पसंख्यक 1947 के बाद हुए किसी भी केस को कभी भी उभार सकते है और हिन्दुओं को जेल भिजवा सकते है।
21.इस विधेयक अनुसार सभी सरकारी हिन्दू अधिकारी एवं हिन्दू कर्मचारियों को [ सैनिक अधिकारियों एवं पैरा मिलिट्री अधिकारियों सहित ] तीन साल से आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती है धारा 117 [कर्तव्यहीनता ], धारा 118 [ कमांड फेल ], धारा 119 [ कमांड फेल पर उच्चाधिकारियों का व्यक्तिगत दायित्व ] इत्यादित्य .इस विधेयक में सरकारी अधिकारियों को मिली प्रोसीज़रल इम्युनिटी फ्रॉम प्रॉसिक्यूशन को धारा 73
में समाप्त कर दिया गया है। अतः हिन्दू अधिकारी अपनी आँख खोले और देंखे कि अल्पसंख्यको की दादागीरी में उनका एक दूसरा बास जन्म लेने वाला है।
22. इन सभी परेशानियों से बचने के लिए हिन्दू समाज अल्पसंखयको से अपना मेलजोल कम कर दे सकता है इसलिए लोग इस बिल को भाईचारे की भावना ख़तम करने वाला मानते है [killing the spirit of secularism & multi-culturalism].
23 इस बिल के कानून बन जाने पर विदेशी एवं विदेशी सरकारे सभी हिन्दुओं को चाहे वो भारत में रहते हो या विदेशो में जन्म से ही अपराधिक मानने लगेगी (धारा 2) और विदेशो में हिन्दू यात्रियों पर और कड़ा नियंत्रण होना शुरू हो जायेगा। अतः इस विधेयक द्वारा कांग्रेस पार्टी ने सभी हिन्दुओं की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को ठेश पहुचाई है।
24.यह कानून 17वी शताब्दी के औरंगजेबी फरमानों से भी बढ कर हिन्दू विरोधी है और सभी हिन्दुओं को द्वितीय श्रेणी का नागरिक बना देने वाला है। इस कानून की मदद से कोई भी मुसलमान , ईसाई या अल्पसंख्यक किसीभी हिन्दू को अपनी उँगलियों पर रोज नचा सकता है। और झूठी शिकायत करके किसी भी हिन्दू के जर , जोरू एवं जमींन को हडपने का दबाव बना सकता है।
25. इसलिए वे सभी हिन्दू जो अपने ज़र, जोरू , जमीन एवं बाल बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करना चाहते है वो अपना मतदाता पहिचान पत्र जरुर बनवाए ,मतदाता सूची में अपना नाम लिखवाए , चुनाव के दिन जरुर वोट डालने जाये और भूल कर भी कांग्रेस पार्टी एवं अन्य जयचंदी पार्टियों को अपना वोट नहीं देवे जो की इस विधेयक का समर्थन करते है।